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हुकुमचंद मिल मजदूरों ने बारिश में किया प्रदर्शन
सरकार के खिलाफ चलाया हस्ताक्षर अभियान
इंदौर. पिछले 26 साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हुकुमचंद मिल के मजदूरों ने मंगलवार से मप्र सरकार के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ किया.
उल्लेखनीय है कि 1991 में मिल बंद होने के बाद से आज तक मजूदर अपने बकाया पैसे के लिए संघर्ष कर रहे है. 6 अगस्त 2007 को हाई कोर्ट ने मिल मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपए का क्लेम स्वीकृत किया था. यह पैसा मिल की जमीन बेचकर मजदूरों को प्रदान किया जाना था लेकिन मिल की जमीन पर नगर निगम और मप्र सरकार ने अपना-अपना दावा जता दिया, मामला फिर कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट ने मप्र सरकार के दावे को खारिज कर दिया.
इसके बावजूद मजदूरों को अब तक उनके पैसे नहीं मिल सके है. नगर निगम व मप्र सरकार की उदासीनता से नाराज मजदूरों ने मंगलवार से हस्ताक्षर अभियान प्रारंभ किया है. इसके तहत 5 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर कराकर राज्य सरकार को ज्ञापन दिया जाएगा। वहीं 5000 पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी भेजे जाएंगे। रीगल तिराहा, मालवा मिल, परदेशीपुरा सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मजदूर सड़क पर उतरकर हस्ताक्षर अभियान चला रहे है.
मजदूर नेताओं का कहना है कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को तमाम तरह की सुविधाएं देने का दावा कर रहे हैं, सरकार के सारे दावे झूठे है। जमीनी स्तर पर मजदूरों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है. हुकुमचंद मिल के ही हजारों मजदूर अपने हक के पैसों के लिए संघर्ष करते-करते मर गए लेकिन मप्र सरकार उनके पैसे देने में आनाकानी कर रही है.